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Saturday, 6 May 2023
Monday, 1 May 2023
कार्यपुस्तिका- इयत्ता पहिली - गणित
Sunday, 2 April 2023
Maharana Pratap- महाराणा प्रताप
महाराणा प्रताप
राजस्थान वीर राजपूतों की जन्मभूमि रही है कि जिन्होंने समय-समय पर
राजपूती आन और भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी । इन्हीं
वीर राजपूतों में से भारत माता के एक सपूत महाराणा प्रताप भी थे।
महाराणा प्रताप का जन्म ९ मई सन् १५४० ई. में चितौड के राजघराने में
हुआ। इनके पिता जी का नाम उदयसिंह और दादा जी का नाम महाराणा साँगा
था। महाराणा प्रताप के जीवन पर इनके वीर दादा का गहरा प्रभाव पडा ।
पिता की मृत्यू के बाद महाराणा प्रताप उदयपुर के सिंहासन पर बैठे। सिंहासन
पर बैठते ही उन्होंने प्रण किया, 'जब तक मैं चितौड न लौटा लूँगा, तब तक भूमि पर
सोया करुँगा, पत्तों पर भोजन करुँगा और मूँछों पर ताव नं दूँगा ।'
उस समय अकबर मुग़ल सम्राट था । वह बडा ही नीति-कुशल था । उसने जो
बहुत से राजपुत राजाओं को लोभ देकर उन्हें अपने अधीन कर लिया था । राजपूत
राजा अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं करते उनके राज्य पर मुगल सेना अधिकार
कर लेती । अकबर ने चितौड पर भी अपना अधिकार कर लिया जिससे उदयसिंह को
चितौड छोडकर उदयपुर नगर बसाना पडा ।
इयत्ता नववी कुमारभारती*
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*📋 नववी व दहावी अभ्यास*
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*🔘 5 वी शिष्यवृत्ती सराव संच*
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*🔘 5 वी नवोदय सराव संच*
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महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता स्वीकार करने से इंकार कर दिया ।
तभी से अकबर महाराणा प्रताप की शक्ति को कुचलने के उपाय करने लगा । सन्
१५७६ ई. में हल्दी घाटी के मैदान में महाराणा प्रताप का अकबर के साथ युध्द हुआ
। महाराणा प्रताप ने बडी वीरता के साथ युध्द किया किन्तु अकबर की विशाल सेना
के सामने वह न टिक सके और अपने प्रिय घोडे चेतक पर सवार होकर जंगलों में जा
छिपे ।
महाराणा प्रताप बीस वर्षों तक जंगलों में मारे-मारे फिरते रहे। इस बीच उन्हें
कई कष्टों का सामना करना पडा परन्तु उन्होंने साहस व धैर्य का दामन नहीं छोडा ।
धनी भामाशाह से अपार धन की सहायता कर उन्होंने फिर से सेना इकटठी की और
इस बार उन्होंने अकबर से टक्कर लेकर अपने खोये हुए किलों पर फिर से अधिकार
कर लिया ।
भारत-माता के सच्चे सपूत महाराणा प्रताप की सन् १५९७ ई. में ५७ वर्ष की आयु
में मृत्यु हो गई ।
Saturday, 1 April 2023
Subhashchandra Bosh
सुभाषचन्द्र बोस
भारत को स्वतन्त्र कराने में सुभाष बाबू का बहुत बड़ा योगदान है ।
भारतवासी उन्हें नेताजी के नाम से याद करते हैं।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म २३ जनवरी सन् १८९७ ई. को उडीसा
प्रान्त में कटक नामक स्थान में हुआ। उनके पिता बाबू जानकी दास एक प्रसिध्द
वकील थे। उनकी आरम्भिक शिक्षा कटक में हुई। उन्होंने उच्च शिक्षा कलकत्ता
में प्राप्त की। वे बचपन से तीव्र बुध्दि के बालक थे। उन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा
में विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान प्राप्त किया जबकि बी.ए. में वे पूरे विश्वविद्यालय
में सर्वप्रथम आए
माता-पिता ने अपने होनहार पुत्र को आई.सी.एस. की परीक्षा पास करने के
लिए इंग्लैंड भेजा। आई.सी.एस. की परीक्षा पास करने के बाद यदि वे चाहते तो
कोई बडे सरकारी अफसर बन सकते थे किन्तु उन्हें अंग्रेजों की नौकरी करना पसन्द
नहीं था । तभी उन्होंने देश को स्वतंत्र कराने का बीड़ा उठा लिया और स्वतन्त्रता-
संग्राम मेंbपडे।
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उन दिनों स्वतन्त्रता-संग्राम की बागडोर गाँधी जी के हाथों में थी । सुभाष
बाबू गाँधी जी का सम्मान करते थे। सुभाष बाबू ने गाँधी जी के आन्दोलनों में सक्रिय
भाग लिया। उन्हें दो बार कांग्रेस के सभापति बनने का गौरव भी प्राप्त हुआ। पर
गाँधी जी से मतभेद होने पर उन्होंने कांग्रेस के सभापति के पद से त्याग-पत्र दे
दिया ।
गाँधीजी अहिंसा पर विश्वास रखते थे जबकि सुभाष बाबू गरम दल के नेता
थे। अंग्रेजों ने उन्हें कई बार जेल में बंद रखा। एक बार वे अंग्रेज-सरकार की आँखों
में
धूल-इ
-झोंक कर जर्मनी जा पहुॅचे और वहाँ से वे जापान चले गए। जापान में
उन्होंने आजाद हिन्द सेना की बागडोर सम्भाली और अंग्रेजी सेना से टक्कर ली ।
भारतवासियों को विश्वास दिलाते हुए, उन्होंने कहा था, 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें
आजादी दूंगा।' उन्होंने भारतवासियों को ' जयहिन्द' का नारा दिया । २३ अगस्त
सन् १९४५ ई.को एक विमान दुर्घटना में उनका निधन हो गया ।
Thursday, 16 June 2022
पुनर्रचित सेतू अभ्यास २०२२- २०२३ पूर्व चाचणी Download
पुनर्रचित सेतू अभ्यास २०२२- २०२३ पूर्व चाचणी Download
सौजन्य -
https://www.maa.ac.in/index.php?tcf=bridge_course22
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Saturday, 2 October 2021
abhyas majha इयत्ता पहिली ते दहावी - अभ्यास माझा
abhyas majha इयत्ता पहिली ते दहावी - अभ्यास माझा
अ क्र |
इयत्ता |
अभ्यास
लिंक |
1 |
इयत्ता पहिली |
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2 |
इयत्ता दुसरी |
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३ |
इयत्ता तिसरी |
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४ |
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5 |
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इयत्ता सहावी |
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